छोड़कर सामग्री पर जाएँ

मैं अपने सपनों को नहीं छोड़ूंगी: ललिता बिष्ट

  • द्वारा

“मैंने पार्लर खोलने के लिए लोन लेने के बारे में अपने परिवार से छुपाया था,” उत्तराखंड के रामगढ़ ब्लॉक, नैनीताल, के सतोली गाँव की 24 वर्षीया पहली पीढ़ी की उद्यमी ललिता बिष्ट हँसते हुए बताती हैं।

“जब उन्होंने उद्यम के पोस्टर पर मेरी तस्वीर देखी तो उन्हें इसके बारे में पता चला। शुरुआत में तो वे नाराज थे,लेकिन फिर मुझे यह समझाते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मैं अपने उद्यम में कुछ भी गलत न करूं और परिवार के तिरस्कार का कारण ना बनूँ,” वह आगे कहती हैं।

बचपन से ललिता एक एयर होस्टेस बनना चाहती थी। इस ख़्वाब को पूरा करने के लिए 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाओं के बाद गर्मियों में वह दिल्ली भी गई जिससे वो वहां काम करते हुए अपने सपनों को साकार कर सकें। लेकिन उन्हें दोनों ही बार असफलता ही मिली। अस्वस्थ होने के कारण वह सतोली लौट आयी और उन्होंने अल्मोड़ा से बीए करने का फैसला किया। कॉलेज पहुँचने के लिए वह सुबह 7.30 बजे बस पकड़ने के लिए अपने घर से जल्दी निकल जाती था। बस की अनुपलब्धता के कारण वह अक्सर निकटतम बस स्टॉप से घर पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर से अधिक पैदल चलती थी।

सुंदरता और फैशन में रुचि होने के कारण ललिता ने कॉलेज के दौरान अपनी कक्षाओं को छोड़ कर श्रृंगार ब्यूटी पार्लर, अल्मोड़ा में काम लगी जहाँ उन्होंने ब्यूटिशन बनने की मूल बातें सीखीं। अपने स्नातक अंतिम वर्ष के दौरान उन्होंने अपने गांव में कपड़े की दुकान खोलने के लिए एक स्थानीय दुकानदार से ऋण पर कपड़े उधार लिए।

जबकि वह अपने को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रही थी तब एक परिचित ने उन्हें उद्यम के बारे में बताया और उनसे उद्यमिता पर शुरू होने वाले पायलट प्रोजेक्ट के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

चयन के विभिन्न दौरों से गुज़रने के बाद उन्होंने अपने गाँव में लवी ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए वित्तीय मदद और परामर्श प्राप्त किया।

“परामर्श के एक भाग के रूप में, मुझे हल्द्वानी के वॉल्यूम सैलून और स्पा में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दो महीने के लिए भेजा गया था। प्रशिक्षण से मुझे अपने कौशल को सुधारने में मदद मिली जिससे मुझे अपने काम में और अधिक विश्वास आया,” वह कहती हैं।

अपने कपड़ों की दुकान पर ललिता अक्सर अपने ग्राहकों की थ्रेडिंग करती थी। और इस तरह उन्होंने अपने पार्लर के लिए वफादार ग्राहक तैयार कर लिए थे। जब उन्होंने औपचारिक रूप से एक पार्लर खोला तो उन्हें ग्राहकों के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। ग्राहकों द्वारा दिखायी गयी इस वफादार के कारण ही उन्होंने समय पर ऋण चुका दिया। आज उनके ग्राहक किसी अन्य दुकान से खरीदारी नहीं करना चाहते हैं इसी कारण उन्हें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने व्यवसाय का विस्तार किया है। “इस साल मांग के कारण, मुझे ऊनी कपड़े भी रखने पड़े,” वह बताती हैं।

ललिता परिवार का सहारा न होने के बावजूद उन्हें ऋण देने के लिए उद्यम की आभारी है। “उनके द्वारा दिया गया परामर्श और प्रोत्साहन ने मुझे आश्वस्त किया। उन्हें मुझे उद्यम के लिए आवश्यक चीज़ें जैसे ग्राहकों की पहचान करना, विपणन करना और बहीखाता बनाना आदि सिखाया। उनके द्वारा ग्राहकों का विश्वास प्राप्त करने पर जोर देने से मुझे अपने व्यवसाय में बहुत मदद मिली है और मुझे समय पर ऋण चुकाने में मदद मिली है।”

निकट भविष्य में ललिता यूनिसेक्स सैलून की एक श्रृंखला खोलना चाहती है। वह नथुवाखान से इसे शुरू करने का इरादा रखती है। फिलहाल वह युवा लड़कियों को भी प्रशिक्षित कर रही है ताकि वे उन ग्राहकों के घर जा कर काम कर सकें जो किसी कारण से पार्लर नहीं जा सकती हैं। शादी करने के लिए अपने घर और गांव के दबाव के बावजूद, वह निरंतर अपने सपनों को सच करने के लिए काम कर रही है। वह दृढ़ता से जवाब देती है, “मैं अपने सपनों को नहीं छोड़ूंगी।”