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महिलाओं में वित्तीय स्वतंत्रता की कमी ने मुझे चेष्टा एनजीओ शुरू करने के लिए मजबूर किया: सुमन अधिकारी

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“मैं अगले एक साल में 1000 महिलाओं को काम देना चाहती हूँ,” चेष्टा ग़ैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की सीईओ सुमन अधिकारी बताती हैं। वो काठगोदाम की निवासी है और उनका एनजीओ वर्तमान में उत्तराखंड में नैनीताल जिले के बेतालघाट, भीमताल, और हल्द्वानी ब्लॉक में काम करता हैं।

43 वर्षीय सुमन, महिलाओं के मुद्दों पर दो दशकों से अधिक समय से सक्रिय हैं। 1997 में एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा पूरा करने के बाद, उन्होंने स्वजल परियोजना पर एनजीओ एटीआई में काम करना शुरू कर दिया, जहां पीने-योग्य पानी पर काम करने के अलावा, उन्होंने मोमबत्ती बनाने के माध्यम से सामुदायिक विकास, स्वच्छता और आय के सृजन पर काम किया। काम करते हुए, उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। बाद में, उन्होंने पहाड़ों में महिलाओं के स्वास्थ्य पर ऐक्शन एड और प्रयास के साथ काम किया।

काम उन्हें दूर-दराज के इलाकों से शहरों तक ले गया। हर जगह उन्होने देखा कि महिलाएं, चाहे उनके परिवार के पास पैसे या वे जिस भी जगह पर रहते हों, के पास स्वतंत्रता की कमी थी। “मैंने देखा कि महिलाएँ यात्रा करने, कपड़े या दवा खरीदने के लिए भी पूरी तरह से अपने पति की दया पर निर्भर थीं,” सुमन बताती हैं।

वो आगे बताती हैं, “2004 में, मैंने जोलीकोट, जहां विकल्प के रूप में खेती भी उपलब्ध नहीं है और गाँव से शहरों की ओर पलायन भी ज़्यादा है, में चेष्टा को शुरू करने का फैसला किया जिससे महिलाओं को कुछ पैसे बचाने में मदद मिल सके।”

शुरू में उन्होंने पाँच स्वयं सहायता समूहों के साथ काम करने का सोचा था, हालाँकि एक महीने के भीतर ही, चेष्टा ने 115 स्वयं सहायता समूह बना लिए। शुरुआती वर्षों में उन्हें इन मुद्दों पर प्रिया और नाबार्ड से भी प्रशिक्षण मिला।

जैसे-जैसे अधिक महिलाएं चेष्टा का हिस्सा बनती गईं, उन्होंने महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए तकिए के कवर, जूट के बैग, कपड़े की थैली, एपन पेंटिंग, टेबल मैट और रनर, तश्तरी, कोस्टर, प्याले आदि बनाने शुरू कर दिए। आज 4800 महिलाएं चेष्टा के स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। इनमे से लगभग 500 महिलाएँ चेष्टा में ऊपर बताई गई चीजों का उत्पादन करने के लिए काम करती हैं। इन्हें द्वारा उत्पादित चीज़ों को विभिन्न संगठनों के माध्यम से बाजार में भेजा जाता है।

2018 में हिमजोली से साथ एक बैठक के दौरान, जहां सुमन चेष्टा के द्वारा बनायी गयी कपड़े की थैलियों को दिखाने गयी थी, उन्हें उद्यम के बारे में पता चला, जो को उद्यमियों को ऋण और परामर्श दे रहा था। उन्होंने तुरंत पंजीकरण करवा लिया और विभिन्न दौर की स्क्रीनिंग के बाद 2 लाख रुपये प्राप्त किए। इस धन का उपयोग उन्होंने आय के सृजन में शामिल 500 महिलाओं के साथ अपने काम का विस्तार करने के लिए किया है।

उद्यम द्वारा चेष्टा को मिली मदद करने के बारे में पूछने पर वह कहती हैं, ”पैसे के अलावा, दिए गए मार्गदर्शन से हमें यह सीखने में मदद मिली कि व्यापार कैसे करना है, और दीर्घकालिक लक्ष्यों को पाने में लेखांकन का कितना महत्व है। विशेषज्ञों ने हमें और ऑर्डर प्राप्त करने में भी हमारी मदद की है। अब हमें ये लगता है की अगले एक साल में 1000 महिलाओं को रोजगार दे सकते हैं।”

“मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूँ कि हमारे साथ काम करने वाली सभी 4500 महिलाओं को कुछ काम करने को मिले। हमारे स्वयं सहायता समूह का हर सदस्य घर से काम करना चाहता है ताकि घर सम्भालते हुए पैसे काम सकें,” इस सकारात्मक बात पर सुमन बात समाप्त करतीं है।