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नैनीताल में 350 से अधिक ग्रामीण महिलाओं ने मनाया ‘ख़ुशी का एक दिन’

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भारत के दूरस्थ, पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन एक उत्सव नहीं है। वहाँ एक जगह से दूसरी जगह जाना आसान नहीं है। सार्वजनिक परिवहन ग़ैरभरोसेमंद और अपर्याप्त है। ग्रामीणों को अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए अक्सर लंबी दूरी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। जब आप पहाड़ी इलाकों में हाँफते हुए सफ़र करते हैं तब आपके भी घुटने कोई मदद नहीं करते हैं। 

सोचिए लकड़ी के भारी और कमर-तोड़ लट्ठे, जिन्हें जंगलों से खाना बनने और आग जलाने के लिए इकट्ठा किया गया हो, को उठाकर चलना कितना मुश्किल है। फिर भी यह वह समय है जिसके लिए पहाड़ी महिलाएं उत्सुक रहती है क्योंकि इस समय वो अपने दैनिक नीरस काम से दूर खुद, एक-दूसरे और प्रकृति के साथ होती हैं।

पहाडों में पैदा होने और रहने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए जीवन ना तो रोमांचक है और ना ही आसान है। वर्ष के सभी दिन लगभग एक से ही होते हैं। बीमारी या किसी अन्य अप्रिय घटना के दिनों के सिवाय, महिलाएं रोज़ सुबह जल्दी जागती है, भोजन बनाती है, बर्तन और कपड़े धोती है, और यदि परिवार के पास जानवर हैं तो उन्हें खाना देती है। वह अपने परिवार के बुजुर्गों, ससुराल, पति और बच्चों की ख़ुद से ज़्यादा देखभाल करती है। उम्र बढ़ने से पहले महिलाओं के चेहरे पर झुर्रियाँ आ जाती है।

स्थानीय युवा और वृद्ध महिलाओं को एक दिन आराम देने के उद्देश्य के साथ उद्यम, जो कि कुमाऊं की पहाड़ियों में उद्यमियों को बढ़ावा देने की एक अनूठी पहल है, मेटोर्स परिवार ट्रस्ट और सीम स्थित हैप्पी चिल्ड्रन लाइब्रेरी 15 फरवरी 2020 को एक साथ आये। 

‘एक दिन की ख़ुशी’ कार्यक्रम के दौरान जिला नैनीताल में स्थित सीम और उसके आस-पास के छः गाँवों की 350 से अधिक महिलाएँ पहली बार डिजिप्लेक्स (जैसे पीवीआर में होता है) में फ़िल्म देखने आयीं। मजेदार खेल, ब्यूटी मेकओवर, पवन पहाड़ी का एक स्टैंड-अप कॉमिक शो, लाइव म्यूजिक, फ्री फूड और शॉपिंग स्टॉल ने इस दिन को महिलाओं के लिए यादगार बना दिया। जो सास-बहू एक साथ आयी थी उनके लिए विशेष पुरस्कार और लकी ड्रा के पुरस्कार के रूप में एक बड़ा टीवी भी दिया गया।

हमने कार्यक्रम का मूल्यांकन करने के लिए ख़ुशी मीटर का उपयोग किया। हमने देखा की 100% महिलाओं ने कार्यक्रम में भाग लेकर आनंद लिया। खेल के साथ कार्यक्रम, सास-बहू कार्यक्रम, और पवन पहाड़ी का प्रदर्शन को तीन सबसे ज़्यादा पसंद किए गए कार्यक्रम थे। कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं थीं:

  • पहली बार इस तरह के कार्यक्रम को देखना।
  • पहली बार ऐसे खेल खेलना जिसको उन्होंने अब तक सिर्फ़ पुरुषों को खेलते देखा था
  • पहली बार एक एसी और कुर्सियों वाले थिएटर में फिल्म देखना।
  • पहली बार सास-बहू का साथ बाहर जाना।पहली बार बोलने के लिए मंच का मिलना।

अगर हम समुचित धन जुटा पाए तो इस कार्यक्रम को पूरे कुमाऊं क्षेत्र में ले जाएँगे।