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कॉहोर्ट तीन के उद्यमियों ने उद्यमिता पर उद्घाटन कार्यशाला में भाग लिया

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अल्मोड़ा, 29 जनवरी, 2020: कड़ाके की ठंड और बर्फ़बारी के बावजूद उत्तराखंड के अल्मोड़ा, नैनीताल और बागेश्वर जिलों के उद्यमी उद्यमिता के तीसरे कोहोर्ट की एकदिवसीय उद्घाटन कार्यशाला में भाग लेने के लिए अल्मोड़ा में जमा हुए। तीसरे कोहोर्ट, जिसमें 77 उद्यमी हैं, उद्यम का अब तक सबसे बड़ा कोहोर्ट है। 

कार्यशाला की शुरुआत में उद्यम के संस्थापक पंकज वाधवा और प्रमुख अंजलि नबियाल ने उद्यमियों का स्वागत करने के बाद उन्हें कार्यक्रम से परिचित करवाया और चयन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। नबियल ने कहा, “इस साल उधियम को कोहोर्ट के लिए 1200 से अधिक उद्यमियों द्वारा पंजीकरण करवाया गया था, कई चरणों की चयन प्रक्रिया के बाद अंत में 77 उद्यमियों को चयनित किया गया।”

एक वार्तालाप गतिविधि के रूप में रोल-प्ले का उपयोग चयन प्रक्रिया को स्पष्ट करने, और ऋण की किश्तों, बीमा शुल्क प्रॉसेसिंग शुल्क इत्यादि पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब देने के लिए किया गया। इस सत्र में उद्यमियों के सवालों का जवाब भी दिया गया।

अपने उद्यम की ख़ासियत (यूनीक सेलिंग प्रपोजल) को पहचानने पर दूसरे सत्र को बर्डसॉंग कैफ़े, भीमताल, की सह-संस्थापक कल्याणी मिराजकर ने लिया। सत्र की शुरुआत उन्होंने अपना कैफे — जिसमें स्वादिष्ट भोजन और खुले में खाने की जगह है — शुरू करने के लिए दिल्ली से भीमताल स्थानांतरित होने की कहानी साझा करके किया। फिर उन्होंने सारे  प्रतिभागियों को कई टीम में विभाजित किया और उन्हें अपने उद्यम की ख़ासियत, जो कि क्रेडिट, स्वच्छता, दुकान के स्थान, अद्वितीय समान आदि से संबंधित हो सकता है, को पहचानने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रतिभागियों को अपने उद्यम की ख़ासियत को पहचान करने में मदद करने के लिए प्रत्येक टीम को प्रस्तुति देने के लिए बुलाया गया। हर प्रस्तुति के बाद उस पर चर्चा हुई जिससे उन्हें और दूसरों को भी समझने का मौक़ा मिले। 

दोपहर के भोजन से ठीक पहले, दूसरी कॉहोर्ट की उद्यमी प्रीति भंडारी ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा और उसमें उद्यम द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में संक्षेप में बात रखी। उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की, “मैं आज जो कुछ भी हूं, वह उद्यम के समर्थन के कारण ही है।”

दोपहर के खाने के बाद, इंडिया फेलो के सह-संस्थापक अनुपमा पेन ने वित्तीय साक्षरता पर कार्यशाला लिया, जिसमें उन्होंने उदाहरणों के साथ दैनिक बहीखाता के महत्व और उसमें प्रविष्टि करने का तरीक़ा बताया। 

दिन का अंतिम सत्र, उच्च सिबिल स्कोर को बनाए रखने और किश्तों के नियमित भुगतान के महत्व पर था जिसे पंकज वाधवा द्वारा लिया गया। 

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